''मानुष हों तो वही 'रसखानि', बसौं बृज गोकुल गांव के ग्वारन
जो 'पसु' हौं तो कहा बस मेरो, चरों नित नन्द की 'धेनु' मंझारन।''
जो 'पसु' हौं तो कहा बस मेरो, चरों नित नन्द की 'धेनु' मंझारन।''
दीपावली के बाद 'गोपाष्टमी' त्यौहार सभी हिन्दू मनाते हैं। आज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 19 नवंबर गुरुवार को यह त्यौहार है। गोपाष्टमी हमारे निजी सुख और वैभव में हिस्सेदार होने वाले गौवंश का सत्कार है।
अमर उजाला (श्रद्धा पृष्ठ ) -13 नवम्बर 2015 में प्रकाशित लेख ।
अमर उजाला (श्रद्धा पृष्ठ ) -13 नवम्बर 2015 में प्रकाशित लेख ।
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